भारत में जैवविविधता के क्षय के कारण
भारत में जैवविविधता पर पिछले कुछ दशकों से संकट के बादल गहरे होते जा रहे हैं।
संपूर्ण पृथ्वी पर से जीव जंतुओं की लगभग 68% प्रजातियां बिल्कुल नष्ट हो गई हैं|
शीघ्र संपन्न व विकसित होने की इस अंतहीन लालसा ने जंगलों, वनों व जैविक संपदा के बड़े क्षेत्रों को क्षति पहुंचाई है और ये प्रक्रिया अनवरत जारी है।
वर्तमान परिदृश्य में ऐसी घटनाएं वन्य जीवों व जलीय जीवों के लिए प्रतिदिन घटित हो रही हैं। क्योंकि दिन-प्रतिदिन उनके आवासों का विनाश होता जा रहा है।
भारत में पश्चिमी घाट में तितलियों की दुर्लभ प्रजातियां तेजी से विलुप्त होती जा रही है।
यहाँ पर तितलियों की 370 प्रजातियों में से 70 प्रजाति लुप्त हो चुकी है।
वन्य जैव संपदा की क्षति के मुख्य कारण जनसंख्या विस्फोट और वनोन्मूलन है।
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