प्रकृति की अमूल्य धरोहर- Priceless heritage of nature

वास्तव में प्रकृति की अमूल्य धरोहर – ‘जैव विविधता’ ही है|

किसी भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने वाले जानवर, पेड़, पौधे, कवक और वैक्टीरिया जैसे सूक्ष्म जीव मिलकर एक प्राकृतिक संसार बनाते हैं। ये सभी एक जैव विविधता के अंतर्गत आते हैं।

आज हम जो जैव विविधता देखते हैं। वह चार से पांच अरब वर्षों के विकास क्रम के फलस्वरूप उत्पन्न हुई है।

जैव विविधता को मुख्यतः तीन प्रकारों में समझा जा सकता है। आनुवांशिक जैवविविधता  प्रजातीय जैवविविधता  पारितंत्रीय जैवविविधता

किसी पारिस्थितिकी तंत्र में जैव विविधता को 0-1 की स्केल पर मापा जाता है।

0 - अनन्त प्रजाति 1- एक प्रजाति

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