वर्तमान समय में हमारे दैनिक जीवन में मानव निर्मित प्रकाश का एक विशिष्ट स्थान है। आज के तमाम तकनीकी साधन जैसे लैपटॉप, स्मार्टफोन, टेलीविजन, कंप्यूटर, कार, बाइक की लाइट आदि मानव निर्मित प्रकाश अर्थात कृत्रिम ऊर्जा पर पूर्णतया निर्भर है। वर्तमान युग में संपूर्ण विश्व भौतिक सुख-सुविधाओं की चाहत में प्रकृति से प्राप्त लगभग सभी संसाधनों का अंधाधुंध दोहन कर रहा है, लेकिन अब इसके गंभीर परिणाम आने लगे हैं। ग्लोबल वार्मिंग इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। इसके अलावा वायु, जल, मिट्टी व ध्वनि प्रदूषण के फलस्वरूप जो प्राकृतिक आपदाएं आई हैं, उनसे हम सभी भली भाँति परिचित हैं। मानव की इस प्रगति के फलस्वरूप एक नए प्रदूषण प्रकाश प्रदूषण ने दस्तक दे दी है। तो क्या लाइट भी प्रदूषण फैलाती है? – Does light also spread pollution ? इस प्रश्न का उत्तर समझने के लिए इसे लेख को विस्तार से पढ़े।
क्या लाइट भी प्रदूषण फैलाती है?-Does light also spread pollution?
आजकल विश्व के सभी महानगर शाम होते ही कृत्रिम रोशनी से जगमगा उठते हैं। कहते हैं भारत में मुंबई और दिल्ली जैसे महानगर रात में सोते ही नहीं है इन महानगरों के साथ साथ अन्य महानगरों व संपन्न शहरों में पूरी रात मानव गतिविधियां सुचारू रहती हैं। इसके लिए बहुत अधिक प्रकाश की आवश्यकता होती है। ये जरूरत से अधिक रोशनी मानवों के साथ-साथ अन्य पशु पक्षियों, कीट पतंगों व जलीय जीवों की दैनिक दिनचर्या में बाधा डालती हैं, जिससे उनकी जैविक घड़ी प्रभावित हुई है।
प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution)
प्रकाश प्रदूषण से तात्पर्य ऐसे प्रदूषण से है जो प्रकाश अर्थात रोशनी से उत्पन्न होता है। विकसित व विकासशील देशों में कृत्रिम प्रकाश की व्यवस्था महानगरों व शहरों तक ही सीमित नहीं है अपितु कृत्रिम प्रकाश की पहुँच ग्रामीण इलाकों तक है। शाम होते ही शहर से लेकर गांव का भूभाग कृत्रिम रोशनी से जगमग जगमग करने लगता है। तथा पूरी रात तेजप्रकाश से सराबोर होती है। अंधकार युक्त रात मानो विलुप्त होती जा रही है। आज के समय में विज्ञान में प्रगति से मनुष्य के पास कृत्रिम प्रकाश के बहुत से साधन है। आज से लगभग 20-25 वर्ष पहले प्रकाश के लिये मानव अधिकांशतः बिजली पर ही निर्भर था। उस समय बिजली का उत्पादन भी वर्तमान समय की अपेक्षा कम था। आज के दौर में बिजली का उत्पादन भी प्रचुर मात्रा में है। तथा इसके साथ ही ऊर्जा को संरक्षित करने के अनेकों उपकरण हैं। इनमें इनवर्टर, बैट्री, सोलर पैनल आदि प्रमुख हैं। बिजली जाते ही इन साधनों से कृत्रिम प्रकाश की निरंतरता बरकरार रहती है। आज से लगभग 5 – 6 दशक पहले बिजली का उत्पादन बहुत ही कम था। दिन में सूर्य तथा रात में चन्द्रमा तथा तारों के प्रकाश पर ही निर्भरता थी। रातें अंधकार युक्त होती थी। रात को आसमान में तारे निहारना अच्छा लगता था, लेकिन आजकल तेज रोशनी के कारण चाँद तारों को उस खूबसूरती से देखना मुश्किल है। पृथ्वी के उद्भव से ही पृथ्वी पर पाए जाने वाले संपूर्ण जीव जगत का जीवन चक्र दिन-रात अर्थात प्रकाश-अंधकार के कालचक्र पर निर्भर है। पौधों में भी प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया प्रकाश और अंधकार के कालचक्र पर निर्भर है। जब केवल प्रकाश ही प्रकाश होगा तो ये प्रक्रिया तो प्रभावित होगी ही क्योंकि इस संसार के प्राणियों, पशु पक्षियों का जीवन निर्वाह पेड़ पौधों पर निर्भर है। अतः हर समय के प्रकाश से मानव जीव-जंतु सभी का नुकसान है। रात में कृत्रिम प्रकाश ने पूरी दुनिया से रात्रिकालीन परिवेश को बहुत ही क्षति पहुंचाई है। कृत्रिम प्रकाश के असीमित विस्तार ने प्रकाश प्रदूषण को जन्म दिया। प्रकाश प्रदूषण को Light Pollution या Luminous Pollution या Photo Pollution भी कहा जाता है। इसे इस प्रकार भी परिभाषित किया जा सकता है —
“ प्रकाश प्रदूषण से तात्पर्य वातावरण में अधिक मात्रा और तीव्रता के प्रकाश की उपस्थिति से है जो हमारे शरीर और पारिस्थितिक तंत्र के सामान्य कार्यों में व्यवधान करता है। ”
यूनाइटेड किंगडम मैं कार्नवाल स्थित इन्वायरन्मेंटल एंड सस्टेनेबिलिटी इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता डॉ एलेजांद्रो एस डे मिगुएल ने अपने शोध में बताया कि दुनिया भर में कृत्रिम प्रकाश के विस्तार से रात्रिकालीन परिवेश में तेजी से हास हुआ है। उन्होंने बताया कि अनुचित प्रकाश प्रदूषण न केवल एक ग्लोबल समस्या हो गया है, अपितु निरंतर बड़ी तेजी से बढ़ता जा रहा है।
प्रकाश प्रदूषण के घटक (Components of light pollution)
मानव निर्मित प्रकाश की अकुशल, अनाकर्षक या अनावश्यक उपयोग के कारण प्रकाश प्रदूषण उत्पन्न होता है। प्रकाश प्रदूषण के निम्न घटक है।
(1) प्रकाश अतिचार (light trespass)
कभी कभी जब आप रात में थक जाते हैं। और सोने की कोशिश करते हैं लेकिन पड़ोस की रोशनी और सड़क की रोशनी ने मिलकर आपका कमरा रोशन कर दिया और आपकी नींद खराब हो गई। या ऐसा भी हो सकता है कि आपके घर की लाइट या दरवाजे की रोशनी ने पड़ोसियों को सोने ना दिया हो, ये ही प्रकाश अतिचार है। जब प्रकाश पूर्व निर्धारित सीमा के ऊपर से गुजरता है तो इसे प्रकाश अतिचार या स्लिपओवर कहा जाता है। इसमें नींद न आने जैसी समस्याएं होती है।
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(2) अधिक रोशनी (Over illumination)
आजकल शहरों में बड़े बड़े मॅाल, टॉवर, आलीशान होटेल्स और बड़ी बड़ी ऊंची इमारतें बनाई जा रही है। इन इमारतों की सुंदरता बढ़ाने के लिए इनके चारों ओर उच्च तीव्रता वाली लाइट्स लगी होती है। जो सारी रात जगमगा कर आकर्षण बढ़ाती है। इन उच्च तीव्रता वाली लाइट्स से निकलने वाले प्रकाश का अधिकतम हिस्सा ऊपर की ओर निकल जाता है। इसे ही ओवर इल्यूमिनेशन कहते हैं। यह एक प्रकार का प्रकाश प्रदूषण है। साथ ही इसमें बहुत ऊर्जा की बर्वादी होती है।
(3) चकाचौंध ( Glare)
प्रकाश की अत्याधिक चमक से जब रोशनी आँखों पर बिखरती है तो कम कॉन्ट्रास्ट के कारण होने वाले अंधेपन के प्रभाव को चकाचौंध (Glare) कहते हैं। चकाचौंध कई प्रकार की होती है—
अंधापन करने वाली चकाचौंध (Blinding glare) सूर्य को सीधे देखने के उपरांत होने वाला प्रभाव |
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(4) अपंग चकाचौंध (Disability Glare) –
जब हम रात में वाहन से यात्रा करते हैं तो सामने से आने वाले वाहन की हेडलाइट्स का प्रकाश सीधा आँखों पर या कोहरे वाली रातों में आने वाले वाहनों की हेडलाइट के प्रकाश के बिखरने से अंधापन का प्रभाव उत्पन्न होता है। इसे ही डिसेबिलिटी ग्लोवर कहते हैं।
(5) असहज चकाचौंध (Discomfort Glare) —
कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल की स्क्रीन को लंबे समय तक देखने से आंखो में चकाचौंध लगती है, जो थकान और आँखों में समस्या उत्पन्न करती है, इसे ही असहज चकाचौंध कहते हैं|
(6) प्रकाश अव्यवस्था (Light Clutter)–
प्रकाश की विभिन्न लाइट्स के अत्याधिक समूहीकरण से भ्रम पैदा करने वाली व बाधाओं से भटकने वाली स्थिति उत्पन्न होती है। यह स्थिति स्ट्रीट लाइट्स के गलत संयोजन तथा विभिन्न डिस्प्ले-बोर्ड की अव्यवस्था से उत्पन्न होती है। इसे ही light clutter या प्रकाश अव्यवस्था कहते हैं। इससे दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है।
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(7) आकाश प्रतिदीप्ति( Skyglow )
आकाश प्रदीप्ति या स्काईग्लो से तात्पर्य, रात के समय आसमान में प्रकाश की अत्यधिक उपस्थिति से हैं, जिसके फलस्वरूप खगोलीय पिंडों, ग्रहों व तारों को देखना कठिन हो जाता है। स्काईग्लो अधिकतर रिहायशी इलाकों में देखा जाता है। जब हम आबादी वाले स्थान से दूर जाते है तो ये प्रभाव देखा जाता है। घरों, बड़ी बड़ी इमारतों, मॉल्स आदि पर बड़ी बड़ी लाइट्स लगी होती है। जिनसे अधिक तीव्रता का प्रकाश निकलता है जब यह प्रकाश – धूल के कण, वायु में उपस्थित कण, प्रदूषण और जलवाष्प से टकराता है, तो उस क्षेत्र के आकाश में बिखर जाता है। प्रकाश के बिखरने से रात में आसमान चमचमा जाता है। ऐसे ही आकाश प्रदीप्ति या स्काईग्लो कहते हैं।
प्रकाश प्रदूषण की वर्तमान स्थिति (Current status of light pollution)
वर्तमान समय में प्रकाश प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। नयी प्रौद्योगिकी की खोज से नई नई डिवाइस मार्केट में आ रही हैं। जो उर्जा की खपत तो कम करती है लेकिन प्रकाश की अधिक मात्रा निकालती हैं। हाल ही में हुई शोधों से पता चला है कि वर्ष 2017 तक पिछले 25 वर्षों में प्रकाश प्रदूषण 49% बढ़ गया है। विभिन्न शोधों में प्रकाश प्रदूषण को मापने की भिन्न भिन्न विधियों अपनाई गई, जबकि वास्तविक स्थिति इससे भी खतरनाक हो सकती है। शोध अध्ययन से पता चला की दृश्यमान स्पेक्ट्रम में चकाचौंध या चमक की उपस्थिति, विश्व स्तर पर 270% तथा कुछ विशेष स्थान पर 400% तक बड़ी है। शोध में यह भी बताया गया कि इस बात के कम सबूत है कि नई टेक्नोलॉजी से प्रकाश उत्सर्जन कम होता है। कार्नवाल में द इनवायरमेंट एंड सस्टेनेबिलिटी इन्स्टिट्यूट में कार्यरत डॉ एलेजांद्रो दी मिगुएल ने बताया कि कृत्रिम प्रकाश का ग्लोबल प्रसार रात के समय के प्राकृतिक वातावरण को नष्ट कर रहा है। उन्होंने आगे बताया कि यह शोध अध्ययन स्पष्ट प्रमाण देता है कि ग्लोबल समस्या के रूप में प्रकाश प्रदूषण कितना खराब हो गया है, साथ ही साथ तेज दर से लगातार बद से बदतर होता जा रहा है। भारत के गांधीनगर में 17 से 22 फरवरी 2020 को प्रवासी बन्य जंतुओं पर 13 वीं सभी संपन्न हुई। जिसमें यूरोपीय यूनियन और ऑस्ट्रेलिया ने कृतिम प्रकाश के प्रभावों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसके अनुसार मानव निर्मित प्रकाश कीटों के साथ साथ कछुए, समुद्री एवं तटीय पक्षियों तथा पारिस्थितिक प्रणाली को प्रभावित कर रहा है। रातों में कृतिम प्रकाश हैचिंग करने वाले समुद्री कछुओं को समुद्र तक बापस जाने के मार्ग को भटकाकर उनके जीवन को खतरे में डाल रहा है। तथा कृत्रिम प्रकाश पक्षियों को भवनों और पेड़ों से टकराकर मौत का शिकार बना रहा है। इसके अतिरिक्त कृत्रिम प्रकाश की उपस्थिति से वन्य पशु-पक्षियों के अपने निर्धारित स्थान से अनावश्यक विस्थापित होने के दौरान भी शिकार बनने का खतरा बढ़ता है। Read more– दुनिया का सबसे स्वच्छ ईधन
प्रकाश प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव (Harmful effects of light pollution)
अन्य प्रकार के प्रदूषण की भांति प्रकाश प्रदूषण के भी मानव स्वास्थ्य, जैव विविधता तथा जलवायु पर हानिकारक प्रभाव है। मानव निर्मित प्रकाश से मानव स्वास्थ्य प्रभावित होता है कृत्रिम प्रकाश का मानव के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के अध्ययन से पता चला कि कृत्रिम प्रकाश की अधिकता या अवांछनीय प्रकाश की उपस्थिति से मानव शरीर की बायोलॉजिकल घड़ी प्रभावित हुई है। जिससे हमारा निंद्रा चक्र बाधित होता है। एशियन पैसिफ़िक जर्नल ऑफ कैंसर प्रिवेंशन जर्नल में प्रकाशित एक शोध अध्ययन के अनुसार कृत्रिम प्रकाश से फेफड़े, स्तन, कोलेरेक्टल और प्रॉस्टेट जैसे अंगों के कैंसर ग्रस्त होने की संभावना रहती है। रात में उपस्थित कृत्रिम प्रकाश नींद में बाधा डालता है। जिससे मानव की सरकेडियम लय बाधित होती है। मानव में नींद का नियमन सरकेडियम लय की होमोस्टेटिक फिजियोलॉजी के द्वारा होता है। सरकेडीएम लय मानव के मस्तिष्क के अंदर 24 घंटे की एक ऐसी घड़ी है, जो दिन रात की गतिविधियों का मार्गदर्शन करती है, और सभी जीवों में शारीरिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करती है। हमारे शरीर के लिए मेलाटोनिन हार्मोन एक जरूरी घटक है। जो अंधेरा होने पर उत्पादित होता है लेकिन कृत्रिम प्रकाश की अधिकता मेलाटोनिन का उत्पादन कम करती है, जिससे नींद की कमी, तनाव, सिर दर्द, चिंता और दूसरे स्वस्थ्य संबंधी समस्याएं होती है। नवीन शोध अध्ययन बताते हैं कि मेलाटोनिन के कम स्तर और कैंसर के बीच एक संबद्धता देखी गई है। आजकल सीएफएल (कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लैम्प) एलईडी (लाइट एमिटिंग डायोड) और ट्यूबलाइट का प्रयोग साधारण सी बात है। सीएफएल में अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन निकलता है जो त्वचा व आँखों के लिए घातक है। साथ ही साथ स्मार्टफोन, एलईडी तथा कंप्यूटर डिवाइस से नीली रोशनी निकलती है जो मानव में मेलाटोनिन के स्तर को कम करती है। जिससे अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती है। कृत्रिम प्रकाश की मौजूदगी जीव-जंतुओं के लिए बहुत हानिकारक है। रात में उपस्थित कृत्रिम प्रकाश जीव जंतुओं के विकास, प्रजनन तथा उनकी गतिविधियों पर प्रभाव डालती है। शोध अध्ययन बताते हैं की रात भर जगमाती कृत्रिम रोशनी कृषि के लिए लाभदायक कीटों को नष्ट करती है। जलवायु परिवर्तन में मानव निर्मित प्रकाश की अप्रत्यक्ष भूमिका है, कृत्रिम प्रकाश को उत्पन्न करने के लिए प्रयुक्त ऊर्जा के उत्पादन के लिए बहुत ईंधन की आवश्यकता होती है जिसके फलस्वरूप वातावरण में हानिकारक पदार्थ और गैसें फैलती है। इसके अतिरिक्त यूरोपियन शोध अध्ययन के अनुसार अंधेरी रात में वातावरण की प्राकृतिक रूप से सफाई होती है, लेकिन कृत्रिम प्रकाश इसमें बाधा डालता है।
प्रकाश प्रदूषण रोकने के उपाय (Ways to prevent light pollution)
प्रकाश प्रदूषण की समस्याओं पर अन्य प्रकार के प्रदूषणों की तुलना में आसानी से काबू पाया जा सकता है। इस प्रदूषण पर अंकुश लगाने से ऊर्जा की बचत के साथ साथ धनराशि में भी बचत होगी। प्रकाश प्रदूषण को कम करने के लिए हम निम्न उपाय कर सकते हैं—–
- हमें घर के अंदर व बाहर प्रकाश के उचित उपकरण लगाने चाहिए।
- शहरों और सड़कों पर अनावश्यक अनुचित प्रकाशयुक्त डिस्प्ले बोर्ड हटाना चाहिए।
- बिजली की खपत को कम करने के लिए मोशन सेंसर टाइमर, डिमर्स आदि नई टेक्नोलॉजी का प्रयोग करना चाहिए।
- आँखों पर सीधे पड़ने वाली चकाचौंध युक्त रोशनी से बचने के लिए आवरण का प्रयोग करना चाहिए।
- नीले प्रकाश युक्त उपकरणों का कम से कम प्रयोग करना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion)
प्रस्तुत लेख में हमने जाना कि क्या लाइट भी प्रदूषण फैलाती है? – Does light also spread pollution ? आज संपूर्ण विश्व शाम होते ही कृत्रिम रोशनी से जगमगा उठता है। विशेषकर महानगरों व शहरों में पूरी रात मानव गतिविधियों जारी रहती है। कृत्रिम रोशनी की अधिकता ने प्रकाश प्रदूषण को जन्म दिया। प्रकाश अतिचार, अधिक रोशनी, चकाचौंध, प्रकाश अव्यवस्था और प्रकाश प्रदीप्ति प्रकाश प्रदूषण के घटक हैं। इन सब के बारे में हमने विस्तार से पढ़ा। अनेक प्रकार के प्रदूषणों की भांति प्रकाश प्रदूषण के मानव जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों व जलवायु पर हानिकारक प्रभाव है। प्रकाश प्रदूषण की रोकथाम के उपाय अन्य प्रदूषणों की अपेक्षा सरल है। हम कुछ आसान उपायों को अपनाकर इस पर अंकुश लगा सकते हैं।
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प्रश्नोत्तर – FAQ
Q1: क्या रोशनी भी प्रदूषण फैलाती है?
उत्तर : हाँ कृत्रिम रोशनी की अत्याधिक मात्रा प्रदूषण फैलाती है, इसे ही प्रकाश प्रदूषण कहते हैं।
Q2: प्रकाश प्रदूषण की समस्या कब से है?
उत्तर: प्रकाश प्रदूषण को पहली बार 1970 के दशक में पहचाना गया था।
Q3: प्रकाश प्रदूषण तारों को कैसे अस्पष्ट करता है?
उत्तर: आकाश प्रदीप्ति या स्काईग्लो से रात में तारों को देखना अस्पष्ट हो जाता है| जब कृत्रिम प्रकाश की किरणें, धूल के कण, वायु में उपस्थित कण व जल वाष्प पर टकराती हैं तो प्रकाश बिखर जाता है, जिससे रात के समय आकाश में चकाचौंध उत्पन्न हो जाती है। जिससे तारे अस्पष्ट हो जाते हैं।
Q4: प्रकाश प्रदूषण कितना बुरा है?
उत्तर: प्रकाश प्रदूषण से मानव की सरकेडियम लय बाधित होती है। जिससे मानव की दैनिक दिनचर्या में व्यवधान पड़ता है। इसके साथ ही प्रकाश प्रदूषण से मेलाटोनिन हार्मोन का उत्पादन प्रभावित होता है।
Q5: प्रकाश प्रदूषण को इंग्लिश में क्या कहते हैं?
उत्तर: प्रकाश प्रदूषण को इंग्लिश में Light pollution, Luminous pollution तथा Photo pollution भी कहते हैं।
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