injection se mukti-इंजेक्शन से मुक्ति

ये पढ़ कर आपको आश्चर्य हो सकता है कि अब जल्द ही इंजेक्शन से मुक्ति – injection se mukti  मिलने वाली है। जी हाँ, यह सच है कि फिलहाल डायबिटीज के मरीजों को इंजेक्शन से इंसुलिन लेने में होने वाली परेशानी दूर होने वाली है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कैप्सूल डिजाइन किया है जो मोटर युक्त है तथा रोबोटिक हैं। शोधकर्ताओं ने इसका नाम रोबोकैप रखा है। ये रोबोकैप जल्द ही हर तरह के इंजेक्शन से लोगों को मुक्ति दिलाएगा। तो आइये अब इस रोबोटिक कैप्सूल रोबोकैप के बारे में विस्तार से पढ़ते हैं।

injection se mukti
इंजेक्शन से मुक्ति (injection se mukti)

Science Robotics की हाल में प्रकाशित एक शोध में बताया गया है कि Massachusetts Institute of Technology, Cambridge के शोधकर्ताओं की टीम ने एक रोबोटिक ड्रग कैप्सूल को विकसित किया है ये रोबोटिक कैप्सूल आंत में म्यूकस को साफ करता है, तथा सीधे आंतों की सतह पर दवाओं को जमा करता है, जिससे दवाओं का अवशोषण बढ़ जाता है। इस रोबोटिक कैप्सूल को “ रोबोकैप ( Robocap) “ कहते हैं | ये रोबोकैप अब जल्द ही इंजेक्शन से मुक्ति – injection se mukti दिलायगा ।ये रोबोकैप पाचन तंत्र में जटिल प्रोटीन जैसे इंसुलिन और छोटे अणुक दबाएँ जैसे एस्प्रिन दोनों के देने के लिए डिजाइन किए गए हैं। इस रोबोकैप को म्यूकस बैरियर के माध्यम से स्पाइना ( spina) और टनल (Tunnel) हेतु डिजाइन किया गया है। जब ये छोटी आंत ( smal intestine) में पहुंचता है तो ये कैप्सूल की दवाओं को आंत की कोशिका परत (cell lininge) में जाने की अनुमति देता है। इस शोध से निश्चय ही दवा वितरण की क्षमता में सुधार होगा। रोबोकैप के द्वारा म्यूकस बैरियर के माध्यम से जीवन रक्षक दवाओं के वितरण में तेजी आएगी, जो पारंपरिक रूप से कठिन साबित हुआ है। MIT के Mechanical Engineering विभाग में कार्यरत The Karlvan Tassel career Development Assistant professor Dr. Giovanni Traverso कहते हैं कि “ म्यूकस को विस्थापित करके, हम एक स्थानीय क्षेत्र के भीतर दबा के फैलाव को अधिकतम कर सकते हैं और छोटे अणुओं और मैक्रो मॉलिक्यूल्स दोनों के अवशोषण को बढ़ा सकते हैं।“

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Dr Giovanni Traverso, Brigham and women’s hospital में Gastroenterologist और इस शोधपत्र के सह लेखक भी हैं। पिछले कुछ वर्षों से Dr Traverso की प्रयोगशाला में इंसुलिन जैसी दवाओं को मुँह से लेने की रणनीति बनाई गयीं है। लेकिन उन्होंने कई बाधाओं का अनुभव किया, जिसमें विशेष रूप से – पाचन तंत्र के अम्लीय वातावरण में दवाओं का टूटना तथा म्यूकस बैरियर के माध्यम से दवाओं को प्राप्त करने में कठिनाई आदि शामिल हैं।
इन बाधार्ओं को दूर करने के लिए डॉ श्रेया श्रीनिवासन ने – बोरिंग मशीनों द्वारा चट्टानों और मिट्टी में ड्रिल करने के तरीके के समान म्यूकस के माध्यम से सुरंग बनाने में सक्षम एक सुरक्षात्मक कैप्सूल को डिजाइन करने की रणनीति तैयार की।
डॉ० श्रेया श्रीनिवासन इस शोध पत्र की मुख्य लेखिका एमआईटी की कोच इंस्टीट्यूट फॉर इंटिग्रेटिव कैंसर रिसर्च में शोध सहयोगी तथा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की society of fellows में एक junior fellow हैं।
डॉ श्रेया श्रीनिवासन ने बताया “ मैंने सोचा कि अगर हम म्यूकस के माध्यम से सुरंग बना सकते हैं तो हम सीधे एपिथीलियम पर दबाई जमा कर सकते हैं।” उन्होंने बताया कि -जब हम इस कैप्सूल को निगलेंगे तो बाहरी परत पाचन तंत्र में घुल जाएगी, जो म्यूकस को मथना शुरू करेगी और इसे साफ करेगी। रोबोकैप शरीर के भीतर अम्लता में परिवर्तन से तेजी से घूमता हैं जिससे दवाई बाला कम्पार्टमेंट नष्ट हो जाता है, जिसके फलस्वरूप पाचन तंत्र के भीतर अधिक दवा वितरण सुनिश्चित होता है।
Dr. Traverso ने बताया कि – रोबोकैप प्रारंभिक म्यूकस बैरियर को क्षणिक रूप से हटाता है और फिर स्थानीय स्तर पर औषधि के फैलाव को अधिकतम करके औषधि अवशोषण को बढ़ाता है| इस प्रक्रिया के द्वारा, हम औषधि को अवशोषित करने के लिए बेहतर स्थिति प्रदान करने की अपनी क्षमता को वास्तव में अधिकतम कर रहे हैं।

Intestine (आंत) मैं औषधि वितरण की चुनौतियां Challenges of Drug Delivery in the Intestine

जब हम दवाओं को निगलते हैं , तो आंत में उस दवा के बेहतर वितरण में कुछ बाधाएं हैं। मुँह से ली गई औषधियों का अवशोषण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (GI) मार्ग के अन्दर भौतिक स्थितियों के द्वारा सीमित मात्रा में हो सकता है|
आंतों में म्यूकस की परतें लेपित होती है, जो कोशिकाओं की परत की रक्षा करते हैं तथा ये आंतों में intestinal epithelium में वैक्टीरिया के उपनिवेशण से बचाता है | साथ ही साथ epithelial कोशिकाएं स्वयं भी कोशिकीय ‘ tight joint ‘ से जुड़ जाती हैं जो epithelium की पारगम्यता (permeability) को नियंत्रित करती है, जिससे आंतों की सामग्री शरीर में नहीं जाती है |
ये भौतिक स्थितियां बताती हैं कि कुछ दबाएँ कैप्सूल या गोली के रूप में पाचनतंत्र के माध्यम से लेना उपयुक्त नहीं है। उन्हें इंजेक्शन के माध्यम से लेना पड़ता है। जिससे लोगों को इंजेक्शन से मुक्ति – injection se mukti  नहीं मिलती। जैसे इंसुलिन एक पेप्टाइड हार्मोन है, जो संपूर्ण विश्व में लाखों डायबिटिक लोगों द्वारा अपनी ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए लिया जाता है। जब इंसुलिन को मुँह के द्वारा पाचन क्रिया के माध्यम से दिया जाता है तो इसकी जैव उपलब्धता (bioavailability) 1% से भी कम होती है।

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किसी दवा की जैव उपलब्धता (bioavailability) इस बात की मापक है कि पाचन तंत्र में प्रवेश करने और प्रभावित क्षेत्र तक पहुंचने के लिए कितनी औषधि अवशोषित की जा रही है। इस लिए इंसुलिन (insulin) को त्वचा के नीचे इंजेक्ट किया जाता है जो कि बहुत ही कष्टदायक है। ऐसे ही एक और औषधि प्रतिजैविक vancomycin भी नसों के अंदर (intravenously) दी जाती है। पहले भी इस औषधि वितरण की समस्या को हल करने के लिए कई तकनीकें जैसे Micro-stirring pills, musus-penetrating liposomes और ultrasonic vibrations विकसित हुई हैं। हालांकि इन तकनीकों के अनुप्रयोग सीमित है। क्योंकि इन तकनीकों को प्रत्येक दवा के लिए अलग अलग अनुकूलित करना होगा तथा यह तकनीकें क्लीनिक में उपयोग हेतु असुविधाजनक हैं। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के इस वर्तमान अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इस परेशानियों व कठिनाई को दूर करने के लिए एक रोबोटिक औषधि वितरण उपकरण ‘रोबोकैप’ विकसित करने का निश्चय किया। जो मौखिक रूप से पाचन तंत्र में औषधि के वितरण और जैव उपलब्धता को सुरक्षित और प्रभावी ढंग से बढ़ने में सहायता कर सके तथा लोगों को इंजेक्शन से मुक्ति injection se mukti  दिला सके।

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रोबोटिक कैप्सूल रोबोकैप का डिजाइन और कार्यविधि Design and Operation of the Robotic Capsule RoboCap

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने एक मोटर युक्त रोबोटिक कैप्सूल बनाया है। इसका नाम  रोबोकैप है। इसका साइज एक बड़ी मल्टीविटामिन गोली या triple zero ‘000’ कैप्सूल के बराबर है। इस रोबोकैप में एक कम्पार्टमेंट ‘कार्गों होल्ड’ है जो औषधियों को संग्रहित करता है तथा इस पर जिलेटिन की कोटिंग है, जो कैप्सूल निगलने पर उत्तकों को असुविधा और क्षति से बचाती है। जब रोबोकैप पेट में पहुंचता है तो गैस्ट्रिक एसिड जिलेटिन की कोटिंग को गला देता है और अम्लता प्रवर्तन (Ph change) इसे छोटी आँत में पहुंचा देता है। वहाँ पीएच संवेदनशील झिल्ली (Ph- sensitive membrane) घुल जाती है, जिससे कैप्सूल के भीतर एक विद्युत परिपथ को बंद करके रोबोकैप की सक्रियता को बढ़ाता है। एक बार सक्रिय होने के बाद रोबोकैप स्पिन करना शुरू कर देता है क्योंकि मोटर से एक ऑफसेट वजन जुड़ा होता है। जो रोबोकैप को घुमाने के लिए आवश्यक centripetal force उत्पन्न करता है। कैप्सूल की पेचदार सतह और जड़ी हुई बनावट आंत की सतह पर प्लिका ( ऊतक की गोलकार सतह) और विली (सूक्ष्म उंगली जैसी उभार) के साथ संपर्क बनाती है जो म्यूकस की परत को मथती और साफ करती है। रोबोकैप के प्रत्येक घुमाव के साथ ड्रग पेलोड को साफ किए स्थान पर डाला जाता है तथा औषधि को सीधे आंत की सतह में जमा किया जाता है, जिससे औषधि अधिक मात्रा में अवशोषित होती है। रोबोकैप आंत में लगभग 35 मिनट तक सक्रिय रहता है। गोलीय मांसपेशियों के लयबद्ध संकुचन से यह भोजन के साथ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (जठरांत्र क्षेत्र) में जाता है। परीक्षणों के विश्लेषण से पता चला है कि रोबोकैप पाचन तंत्र के माध्यम से बिना किसी सूजन, संक्रमण या आंतों की एपिथीलियम को नुकसान पहुँचाए बिना सुरक्षित रूप से निकल जाता है।

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निष्कर्ष conclusion

रोबोकैप का आविष्कार निश्चय ही औषधि वितरण में क्रांतिकारी सिद्ध होगा। ये इंसुलिन या vancomycin , जिनकी जैव उपलब्धता 1% से भी कम है, जैसी दवाओं को मौखिक रूप से लेने में सहायता करेगा, जिससे लोगों को इन्जेक्शन से मुक्ति injection se mukti मिलेगी । इसके बेहतर और अधिक क्षेत्र में उपयोग हेतु वैज्ञानिक अनेक योजनाएं बना रहे हैं। डॉ० ट्रेवर्सो और सहकर्मी बताते हैं कि विभिन्न पीएच स्तरों पर रोबोकैप को सक्रिय करने के लिए पीएच संवेदनशील सक्रियण झिल्ली (Ph- sensitive activation membrane) को ट्यून करके इस तकनीक को और प्रभावी करने की आवश्यकता है, जिससे रोबोकैप दवा के वितरण को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (जठरांत क्षेत्र) के विभिन्न क्षेत्रों जैसे पेट, कोलन आदि जहाँ पर अम्लीयता अर्थात पी एच परिवर्तित होता रहता है, में प्रभावी रूप से कर सकता है। शोधकर्ताओं ने रोबोकैप से जुड़ी अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में बताया कि वे कुछ अन्य दवाओं के साथ रोबोकैप का परीक्षण करेंगे, जिससे उन लोगों को सहायता मिलेगी जो अस्पतालों में दवाओं के साथ संघर्ष कर रहे हैं।

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