संपूर्ण विश्व ऊर्जा जरूरतों के लिए कोयला और तेल (पेट्रोलियम पदार्थों) पर निर्भर हैं। जोकि हानिकारक गैस जैसे- कार्बन डाइऑक्साइड ( co2 ), कार्बन का उत्सर्जन करते हैं| वातावरण में बढ़ता हुआ कार्बन जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है| अतः सभी देशों ने वर्ष 2050 तक धरती को कार्बन मुक्त ( Decarbonising ) करने का लक्ष्य रखा है । इसके लिए हमें दुनिया का सबसे स्वच्छ ईधन– The cleanest fuel in the world खोजना होगा और इस कार्य में ग्रीन हाइड्रोजन ( Green Hydrogen) मुख्य भूमिका निभा सकती है|
The cleanest fuel in the world – दुनिया का सबसे स्वच्छ ईंधन
वर्ष 2019 में अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने बताया कि “ वर्ष 2040 तक वैश्विक ऊर्जा मांग 25% से 30% तक बढ़ जाएगी, जिसके फलस्वरूप अधिक कार्बन उत्सर्जन होगा और अधिक जलवायु परिवर्तन होगी।”
इसलिए सभी देशों ने मिलकर वर्ष 2050 तक धरती को कार्बन मुक्त ( Decarbonising )करने का प्रण लिया है| इसके लिए हमें ग्रीन हाइड्रोजन जैसी more accessible, efficient तथा sustainable और clean ऊर्जा की आवश्यकता होगी | इसलिए हम ग्रीन हाइड्रोजन को दुनिया का सबसे स्वच्छ ईधन- अर्थात् The cleanest fuel in the world कह रहे हैं|
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ( IEA ) ने बताया कि “नवीकरणीय स्रोत से बनी ग्रीन हाइड्रोजन प्रतिवर्ष, जीवाश्म ईंधन से उत्सर्जित 838 मिलीयन co2 का उत्सर्जन रोकेगी |”
ग्रीन हाइड्रोजन क्या है और कैसे प्राप्त की जाती है
ग्रीन हाइड्रोजन बहुत उपयोगी है, इसके निम्न लाभ है—
- टिकाऊ (Sustainable ) : ग्रीन हाइड्रोजन उपयोग या उत्पादन के दौरान प्रदूषण फैलाने वाली गैसों का उत्सर्जन नहीं करती है | ये एक स्वच्छ ईंधन है|
- संग्रहणीय (Storable) : ग्रीन हाइड्रोजन को स्टोर करना आसान है। जिससे इसे बाद में अन्य उद्देश्यों के लिए और कभी कभी उत्पादन के तुरंत बाद इसे उपयोग में लाया जा सकता है।
- बहुमुखी ( Versatile ) : ग्रीन हाइड्रोजन को बिजली या सिंथेटिक गैस में परिवर्तित किया जा सकता है ओर इसका उपयोग वाणिज्यिक ( Commercial ), औद्योगिक ( Industrial ) व वाहन उद्योग के लिए हो सकता है |
ग्रीन हाइड्रोजन : हानि ( Disadvantaged )
ग्रीन हाइड्रोजन के कुछ दुष्परिणाम भी है—-
- उच्च कीमत ( High cost ) : वर्तमान समय में इसकी कीमत काफी अधिक है। ग्रीन हाइड्रोजन नवीकरणीय स्रोतों के माध्यम से, इलेक्ट्रोलिसिस से उत्पादित होती है अतः इसका उत्पादन बहुत महंगा है। वर्तमान समय में इसकी कीमत 300 से ₹400 प्रति किलो है|
- उच्च ऊर्जा खपत ( High energy consumption) : ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में अन्न ईंधनों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा की खपत होती है।
- सुरक्षा की दृष्टि से ( Safety issues ) : ग्रीन हाइड्रोजन अधिक परिवर्तनशील व ज्वलनशील पदार्थ है। इसीलिए रिसाव और विस्फोट को रोकने के लिए व्यापक सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है।
भारत में राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन
भारत सरकार कार्बन उत्सर्जन रोकने व पेट्रोलियम पदार्थों पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से सौर व इलेक्ट्रिक ऊर्जा जैसी प्रक्रियाओं पर बल दे रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2021 में स्वतंत्रता दिवस के दिन ‘राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन’ का ऐलान किया था।
इसी क्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता में 4 जनवरी 2023 को हुई कैबिनेट बैठक में देश में ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 19744 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन योजना ‘राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन’ को मंजूरी प्रदान की गयी |
निष्कर्ष (conclusion)
आज विश्व के सामने ग्रीन हाउस गैसों और कार्बन की उपस्थिति से जलवायु परिवर्तन का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है| इसके निराकरण हेतु हमें स्वच्छ ईधन तलाशने ही होंगे। ऊर्जा के बैकल्पिक स्रोतों में – सौर, पवन, इलैक्ट्रिक और ग्रीन हाइड्रोजन प्रमुख हैं | निस्संदेह ग्रीन हाइड्रोजन, ऊर्जा जरूरतों के लिए एक स्वच्छ ईधन सिद्ध होगा लेकिन इसकी अतिप्रज्वलनशीलता को देखते हुए व्यापक सुरक्षा उपाय करते हुए उपयोग करने की आवश्यकता है|
FAQ
Q1 : ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल क्या है?
Ans : ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल एक स्वच्छ ईंधन है, जो नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों से प्राप्त बिजली के माध्यम से, जल का इलेक्ट्रोलिसिस करने पर प्राप्त होती है ।
Ans : ग्रीन हाइड्रोजन जिंस प्लांट में बनती है उसे इलेक्ट्रोलाइजर कहते हैं। इलेक्ट्रोलाइजर में पानी के इलेक्ट्रोलिसिस से ग्रीन हाइड्रोजन बनती है।
Ans : वर्तमान समय वर्ष 2023 में भारत में ग्रीन हाइड्रोजन की कीमत 340 से लेकर ₹400 प्रति किलो तक है। वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिन्नी इन हाइड्रोजन की कीमत $5 के आसपास है।
Ans : इस मिशन का उद्देश्य ग्रीन हाउस गैसों विशेषकर कार्बन के उत्सर्जन को कम करना तथा स्वच्छ ऊर्जा पर निर्भरता को बढ़ाना है।
Ans : भारत में ग्रीन हाइड्रोजन के निर्माण करने के लिये तीन कंपनियों ने एक समझौता किया है। ये कंपनियां हैं – इंडियन ऑयल (Indian Oil), लार्सन एंड टुर्बो (L&T) और रिन्यू पावर (Renew power) |
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